शिक्षक को स्मार्ट, अपडेट जिम्मेवार होना चाहिए।
अज्ञान के अँधेरे को ज्ञान के काजल से खोलने वाले गुरु को नमन। गुरु तभी सफल माना जाता है जब उसका शिष्य गुरु से भी आगे बढ़ जाता है। शिष्य को सचिन तेंदुलकर जैसा होना चाहिए जो गुरु को भगवान से भी बढ़कर मानते हैं। विद्यार्थियों को वृद्ध (वृद्ध वह है जो वृद्धि करने की योग्यता रखता हो) से आयु, विद्या, यश और बल प्राप्त होता है।
ये बातें डॉ महेशचंद्र शर्मा, प्राचार्य, दानवीर तुलाराम शासकीय महाविद्यालय, उतई ने दाऊ उत्तम साव शासकीय महाविद्यालय, मचांदुर में आज दिनांक 03.01.2019 आयोजित "उन्मुखीकरण कार्यक्रम- सीखने एवं सिखाने की कला" में मुख्य वक्ता और अध्यक्ष की आसंदी से कही।
विशिष्ट अतिथि डॉ ए ए खान, विभागाध्यक्ष अंग्रेज़ी, डी टी शासकीय महाविद्यालय, उतई ने नवाचार को पठन पाठन में उपयोग किए जाने पर बल देते हुए कहा कि आज के दौर में हमे नवीन पद्धति का उपयोग करना होगा ताकि हम शिक्षण के नवीन तरीको से स्वयं और विद्यार्थियों को परिचित करवा सकें।
श्रीमती एम गोपीनाथन, प्राचार्य, शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, मचांदुर ने कहा कि हमे हमेशा प्रोटान जैसे सकारात्मक और धनात्मक बने रहना चाहिए और अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। यही हमारे व्यक्तित्व विकास की पहली सीढ़ी है।
जी ए घनश्याम, प्राध्यापक, अंग्रेज़ी ने "सीखने एवं सीखाने की कला" पर अपने सारगर्भित विचार रखे।
कार्यक्रम में श्री प्रमोद चौरे जो समाजशास्त्र के अतिथि व्याख्याता थे को उनकी सेवाओ के लिए स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
आभार प्रदर्शन डॉ गिरिजा पटैला, सहायक प्राध्यापक, रसायन शास्त्र ने रोचक तरीके से किया।
कार्यक्रम का सफल और कुशल संचालन श्री खिलेश चंद्राकर, अतिथि व्याख्याता, वाणिज्य ने किया।
कार्यक्रम को सफल और यादगार बनाने में श्री नीलम संजीव एक्का, सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र, अतिथि व्याख्यागण सुश्री जागृति चंद्राकर, पूजा परगनिहा, प्रभा यादव, श्री आर्या तथा विद्यार्थियों में मीनाक्षी, पद्मिनी, मनीषा, रुखसार, नरगिस, अजय, हरीश इत्यादि का विशेष योगदान रहा।